Monday, January 31, 2022
Israel new PM: आज नेतन्याहू युग का अंत, बेनेट बनेंगे इज़राइल के नए पीएम
ख़बर शेयर करें

New Delhi: इज़रायल में 2 साल में 4 बार चुनाव के बाद भी मज़बूत सरकार नहीं बन सकी. जिसके बाद अब इज़राइल ने अपना नया PM चुन लिया है. इसी के साथ अब हमास और फिलिस्तीन की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं. क्योंकि इज़रायल को जो नया पीएम मिलने वाला है वो देशभक्ति में नेतन्याहू का भी बाप है. वो दुश्मनों को बख्शता नहीं बर्बाद कर देता है. वो अपनी धरती के लिए अपना खून बहाता नहीं, दुश्मन का सिर कलम कर देता है. वो पूर्व कमांडो रह चुका है और अच्छी तरह से जानता है कि दुश्मनों का फन कैसे कुचलते हैं. इतना ही नहीं पीएम बनने से पहले ही वो इस बात का खुला ऐलान कर चुका है कि आतंकियों को किसी कीमत बर बख्शना तो है ही नहीं. यानि उसने इज़रायल के पीएम की कुर्सी संभालने से पहले ही ऐलान कर दिया है कि इज़रायाल के दुश्मनों सुधर जाओ, वर्ना सिधार जाओगे.

स्टोरी के हाइलाइट्स-

1- इज़राइल में सत्ता परिवर्तन कैसे हमास की खाट खड़ी करने वाला है?
2- आखिर इज़राइल का नया पीएम फलस्तीन विवाद को कैसे सुलझाने का पक्षधर है?
3- नेतन्याहू की अगुवाई में दुनिया का दबंग देश माना जाने वाला इज़राइल, अपनी नई लीडरशिप की अगुवाई में मुस्लिम मुल्कों को कैसे हैंडल करेगा?

 

नेतन्याहू ने हमास की नींद हराम कर दी थी

2021 के चुनावों में 7 सीटें जीतने वाली यामिना पार्टी के चीफ 49 साल के बेहद तेज़ तर्रार, ऊर्जावान और दक्षिणपंथी नेता नफ्ताली बेनेट अब इज़रायल के नए प्रधानमंत्री होंगे. 7 जून को सरकार को विश्वासमत साबित करना है. जिसके पास 120 में से 61 सांसदों का समर्थन हासिल है. बेंजामिन नेतन्याहू से इज़रायल के प्रधानमंत्री पद की कुर्सी छिन जाने से फलस्तीन और हमास को सबसे ज्यादा खुशी है. क्योंकि नेतन्याहू ने सत्ता में रहने के दौरान हमास की नींद हराम कर दी थी. नेतन्याहू, फलस्तीन समेत अपने सभी पड़ोसियों पर हावी ही रहे हैं. नेतन्याहू की लीडरशिप में ही तुर्की, ईरान, पाकिस्तान, यूएई और मिस्त्र समेत दुनियां के 57 मुस्लिम देश चाह कर भी इज़राइल का बाल भी बांका नहीं कर पाए थे.

नेतन्याहू से ज्यादा ‘कट्टर’ हैं बेनेट

लेकिन अगर आप सोच रहे होंगे कि नेतन्याहू के सत्ता में नहीं रहने से हमास को फायदा होगा तो ऐसा सोचना इज़राइल के दुश्मनों की सबसे बड़ी भूल होगी. क्योंकि इज़रायल के नए बनने वाले प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट से हमास और फिलिस्तीन को राहत नहीं मिलने वाली है. और तो और बेनेट को तो नेतन्याहू से ज्यादा हार्डलाइनल और दक्षिणपंथी नेता माना जाता है. यानी बेनेट के सत्ता में आने के बाद हमास के आतंकियों की मुश्किल कम होने की बजाए बढ़नी तय मानिये. हो सकता है कि अगर भविष्य में, पिछले महीने हमास द्वारा किए गए हमले की तरह का कोई हमला इज़रायल पर थोपा जाये और पीएम नफ्ताली ही हों, तो शायद ये युद्ध 10 दिन खिंचे ही न. क्योंकि नफ्ताली अपने देश के दुश्मनों को घर में घुसकर मारने के हिमायती हैं. इसके लिए फिर उन्हें दुनिया की कोई भी कीमत चुकानी पड़े तो भी वो अपने कदम पीछे नहीं खींचते हैं. देश की हिफाज़त की बात हो और वतनपरस्ती के पैमाने पर आकलन किया जाए तो नफ्ताली बेनेट, नेतन्याहू से भी चार कदम आगे ही रहेंगे. क्योंकि दुश्मनों को बेरहमी से कुचलने का बेनेट का इतिहास भी यही कहता है. साल 1996 में उन्होंने हिजबुल्लाह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को लीड किया था. बाद में इजरायली प्रेस येदिओथ अह्रोनॉथ ने उनपर आरोप लगाया कि कार्रवाई में 106 लेबनानी नागरिक भी मारे गए थे. अपने देश के खिलाफ सिर उठाने वाले हिजबुल्ला आतंकियों के खात्मे के दौरान यूएन के भी 4 शख्स मारे गए थे.

 

ISREAL LEADERS SATENDRA

आतंकियों को मार देना चाहिए- बेनेट

इजरायल की संभावित नई सरकार में वहां की 13 राजनीतीक पार्टियों में से 8 राजनीतिक पार्टियों का गठबंधन होगा. इज़रायल के इतिहास में आजतक किसी भी पार्टी ने अकेले दम पर सरकार नहीं बनाई. लिहाज़ा गठबंधन की सरकार यहां पर कोई नई बात नहीं है लेकिन ये भी सच है कि इतने बड़े गठबंधन की सरकार भी इज़ारइल में पहले कभी नहीं बनी. इसीलिए ये गठबंधन सामान्य नहीं है इस गठबंधन में लेफ्ट, राइट, सेंटर सभी तरह की विचारधारा वाली पार्टियां हैं. लेकिन एक बात जो सबसे स्पष्ट है वो है फिलिस्तीन औऱ हमास पर नफ्ताली बेनेट और नेतन्याहू की राय. बेनेट को नेतन्याहू से भी ज्यादा दक्षिणपंथी नेता कहा जाता है. नेतन्याहू ने दो-राज्यों के समाधान की चर्चा फिलिस्तीन विमर्श से खत्म कर दी है. वहीं, बेनेट उनसे भी आगे बढ़कर वेस्ट बैंक को कब्जा करने की वकालत करते हैं. उन्हें न तो वार्ता से मतलब है और न चर्चा से सरोकार. वो फैसला ऑन द स्पॉट करते हैं. यही बात हमास और फलस्तीन की नींद हराम कर रही है. दक्षिणपंथी विचारों के नेता बेनेट पॉश अमेरिकन लहजे में अंग्रेजी बोलते हैं और अपनी बात अक्सर टू-द-प्वाइंट और बिना लागलपेट रखते हैं. साल 2013 में उन्होंने फिलीस्तीन के साथ किसी भी तरह के नर्म रवैये का विरोध किया था. बेनेट ने कहा था कि “आतंकियों को मार दिया जाना चाहिए, न कि छोड़ा जाना चाहिए.”

पीएम कोई भी हो, आतंकवादी नहीं बचेंगे

यानी इस मामले में देखा जाए तो आतंकवाद के मुद्दे पर मौजूदा पीएम और संभावित पीएम बेनेट एक-सी विचारधारा रखते हैं. वो हमेशा इजरायल को आगे ले जाने की बात करते हैं और कई बार ये इशारा दे चुके हैं कि फिलिस्तानी स्टेट का बनने इजरायल के लिए कितना खतरनाक हो सकता है. जिसका मतलब ये निकाला जाता है कि आने वाले वक्त में मुमकिन है कि नक्शे पर न हमास रहे और न फिलिस्तीन का नामोनिशान. बेनेट ने रविवार को कहा था कि “गठबंधन दल आपस में सीमित मुद्दों पर ही सहमति कायम कर सकते हैं लेकिन वे न बातचीत बंद करेंगे और न अपना क्षेत्र किसी को दे देंगे.” निजी जिंदगी में बेनेट पूरी तरह से यहूदी मान्यताओं का सख्ती से पालन करते हैं…. यहां तक कि वे अपने सिर पर एक तरह की धार्मिक टोपी भी पहनते हैं, जो कट्टर यहूदी सोच वाले लोगों की निशानी होती है… यानी बेनेट अपनी धार्मिक सोच को राजनीति में छिपाएंगे, ऐसा नहीं सोचा जा सकता. ऐसे में साफ है कि इज़राइल की नई सत्ता, अपने विश्वास, अपने विचारधारा, अपनी पहचान औऱ स्वाभिमान के साथ समझौता हरगिज़ नहीं करेगी. इज़राइल से नफरत करने वाले मुस्लिम मुल्क अगर ये सोच रहे हों कि नेतन्याहू के जाने के बाद इज़राइल अब उनका सॉफ्ट टारगेट बन सकेगा. तो ये उनकी भूल है.

Tags: , , , , , , , , , ,

Related Article


FOLLOW US

RECENTPOPULARTAG