Monday, January 31, 2022
Agni-6 Missile Test: अग्नि-6 का परीक्षण क्यों नहीं कर रहा भारत?
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Agni-6 Missile Test: दुनिया के सभी देश अपनी अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे हैं। अमेरिका, रूस और चाइना जैसे देशों में तो एक दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ सी लगी है। लिहाजा एक दूसरे को चुनौती दे रहे ये देश घातक से घातक मिसाइलों के परीक्षण पर परीक्षण करने में लगे हैं। आलम ये है की अन्तरमहाद्विपीय यानी इंटर कॉन्टिनेंटल मिसाइलों के बाद अब अंतरीक्ष तक में जंग तक की तैयारी हो चुकी है वैश्विक स्तर पर स्पेस वार की शुरुआत चीन ने की है तो अमेरिका ने स्पेस वार के लिए 10 अरब डॉलर का भारी भरकम बजट रख दिया है। संभावित स्पेस वार के खतरे को देखते हुए भारत भी लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में लगा है। और अब अग्नि-5 के सफल परीक्षण के बाद एक ऐसी मिसाइल का परीक्षण करने की तैयारी में है जो दुश्मनों के लिए साक्षात मौत है। हम बात कर रहे हैं, महाविध्वंसक अग्नि-6 मिसाइल की।

1-   एक ऐसी मिसाइल जो पलक झपकते ही दुश्मन के 4-4 ठिकानों को तबाह कर सकती है।
2-   एक ऐसी मिसाइल जिसके भारत के हथियारों के बेड़े में शामिल होने की ख़बर से ही दुश्मन थर-थर कांप रहे हैं।

दरअसल जब भारत की सबसे दमदार अग्नि-5 मिसाइल आई थी तो चीन और पाकिस्तान के रोंगटे खड़े हो गए थे। अभी पिछले ही साल यानि साल 2020 के आखीर तक लद्दाख और गलवान इलाके में भारत और चीन के बीच लगातार तनाव बना रहा था।  भारत को डराने के लिए चीन ने सीमा पर बड़े पैमाने पर अपने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइल डीएस26-21 तैनात कर रखी थीं। सैटेलाइट से मिली तस्वीरों से इस बात की पुष्टि भी हो चुकी थी। चीन ने अपने शिनजियांग प्रांत के कोरलांग सैन्य ठिकाने पर डीएस 26-21 मिसाइलें तैनत की हैं। इस मिसाइल की मारकत क्षमता करीब 4000 किलोमीटर तक है। इसकी ज़द में भारत के ज्यादातर शहर आते हैं। हालांकि भारत के पास चीन की इस मिसाइल के जवाब में अग्नि सीरीज की मिसाइलें हैं। तो भारत ने भी अक्टूबर 2020 के बाद ताबड़तोड़ मिसालें टेस्ट करके दुश्मन देश चीन को ये बता दिया था कि भारत किसी से डरने वाला नहीं है। हालांकि भारत पहले युद्ध की शुरुआत न करने की अपनी रणनीति पर चलता है। लेकिन छेड़े जाने पर वो दुश्मन को छोड़ेगा भी नहीं। अग्नि सीरीज़ की घातक मिसाइलों के अलावा ब्रह्मोस, शौर्य मिसाइल के एडवांस्ड वर्शन और चुटकियों में दुश्मन को खाक में मिला देने वाली मिसाइल क्यूआर सैप का भी सफल परीक्षण किया है। चीन की डीएस 26-21 मिसाइल की मारक क्षमता से कहीं ज्यादा अग्नि-5 ताकतवर है। अग्नि-5 की मारक क्षमता 5000 किलोमीटर है। साथ ही ये परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है। भारत इस मिसाइल का कई सफल टेस्ट भी कर चुका है।  बड़ी बात ये है कि भारत अग्नि 6 मिसाइल भी बना चुका है। जो देश की सबसे खतरनाक मिसाइल है। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है। यहीं से एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर इसका टेस्ट क्यों नहीं किया जा रहा है। भारत 2013 में ही अग्नि-5 मिसाइल बना चुका है। तो फिर अग्नि-6 मिसाइल को क्यों छिपाया जा  रहा है।

अग्नि-5 के कई दौर के सफल परीक्षण के बाद भारत के रक्षा वैज्ञानिक अग्नि-6 मिसाइल को डेवलप कर चुके हैं। दुनिया में मिसाइल टेक्नोलॉजी की अग्रणी शक्तियों में भारत पहले से ही शामिल है। ऐसे में अग्नि-6 देश को मिसाइल टेक्नोलॉजी में और बुलंदियों की ओर ले जाएगी। अग्नि-6 की मारक क्षमता करीब 10 हज़ार से 12 हज़ार किलोमीटर है। अग्नि-6 मिसाइल का तोड़ तो चीन के पास भी नहीं होगा। वैसे भारत के पास अग्नि सीरीज़ की कई मिसाइलें हैं। जिसमें बैलेस्टिक और इंटरमीडिएट दोनों ही शामिल हैं। दरअसल मिसाइलें दो तरह की होती हैं।

 

मिसाइलों की 2 कैटेगरी

1-   बैलेस्टिक मिसाइल और

2-   क्रूज़ मिसाइल

कई मिसाइलें ज़मीन से ज़मीन। कई मिसाइलें हवा से हवा तो कई मिसाइलें हवा से ज़मीन पर हमला कर सकती हैं। ये सभी मिसाइलें भारतीय मिसाइल बेड़े में मौजूद हैं। कम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलें जैसे

1-   पृथ्वी-1, 2 और 3

2-   प्रहार मिसाइल

3-   मध्यम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल

* अग्नि-1 और अग्नि-2

4-   इंटरमीडिएट दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल

* अग्नि-3, अग्नि-4

* अंतरमहाद्वीपीय यानि इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि

भारत इन सभी मिसाइलों को एडवांस्ड बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है। भारत के वैज्ञानिक अग्नि-5 मिसाइल के कई सफल परीक्षण कर चुके हैं। जिसकी मारक क्षमता 5000 किलोमीटर है। जबकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि अग्नि सीरीज़ का अपग्रेड वर्शन अग्नि 6 पर काम चल रहा है, जबकि कुछ में ये काम पूरा हो गया बताया जाता है।  लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि अबतक अग्नि-6 का परीक्षण क्यों नहीं हुआ? इसके बारे में कोई आधिकारिक बयान क्यों नहीं दिया गया ?

दरअसल माना जा रहा है कि कोरोना के कारण जब पूरी दुनिया ठप पडी थी। इस दौरान हिंदुस्तान में मिसाइल परीक्षण का काम भी रुका हुआ था। और शायद इसी वजह से इसका परीक्षण अभी तक नहीं किया गया है। लेकिन सवाल इस बात का भी है कि अग्नि-5 मिसाइल को 2013 में तैयार कर लिया गया था। और उस समय ही वैज्ञानिकों ने कहा था कि अग्नि-6 पर काम चल रहा है। और जल्द ही इसके परीक्षण शुरू हो जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आखिर इस मिसाइल में ऐसी कौन सी तकनीक है जो दुनिया से इसको छिपाया जा रहा है?

माना जा रहा है कि भारत की अग्नि-6 मिसाइल सबसे खतरनाक होगी। इसकी टक्कर में न तो अमेरिका की मिसाइलें टिक पाएंगी और न ही चीन की। और शायद इसी वजह से भारत इस मिसाइल को दुनिया के सामने लाना ही नहीं चाहता है। माना जा रहा है कि भारत के किसी गुप्त सैन्य ठिकाने में इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया जा चुका है। लेकिन इस बात को उजागर नहीं किया गया है। हालांकि इस मिसाइल को लेकर एक और कयास लगाया जा रहा है। और वो ये कि क्या चीन और अमेरिका जैसे देश भारत को इस मिसाइल के परीक्षण से रोक रहे हैं?

इसे पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है। क्योंकि अमेरिका और चीन जैसे देश दुनिया पर अपनी धाक जमाने के लिए ऐसा करते आए हैं। और वैसे भी कोई देश नहीं चाहता कि उससे कमज़ोर देश किसी ऐसी मिसाइल को बना ले जिससे उसकी हद काफी बढ़ जाए। अग्नि-6 का परीक्षण न होना भी इसी वजह की ओर इशारा करता है।

अग्नि-6 की मारक क्षमता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रूस जैसे देश भी भारत की मारक क्षमता के घेरे में  आ जाएंगे। इतना ही नहीं। अग्नि-6 चली तो फिर यूरोप के भी देश बच नहीं पाएंगे। जहां तक भारत के दुश्मनों का सवाल है। तो चीन औऱ पाकिस्तान के अलावा दुनिया में भारत का सीधा दुश्मन कोई नहीं है। और चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए तो अग्नि-5 मिसाइल ही काफी है।

2017 में 12 जनवरी को भारत द्वारा अग्नि-5 मिसाइलों के परीक्षण के बाद ही पाकिस्तान और चीन तिलमिलाए हुए थे। डरे हुए पाकिस्तान ने इसकी शिकायत मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रेजीम यानी एमटीसीआर से कर दी थी। उसने कहा था कि भारत लगातार परमाणु क्षमता से लैस मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है जो इलाके की शांति के लिए बेहद गंभीर है

पाकिस्तानी अखबार द ट्रिब्यून की ख़बर के मुताबिक पाकिस्तान ने एमटीसीआर से कहा है कि मिसाइल डिफेंस सिस्टम और महाद्वीपीय परमाणु मिसाइल के परीक्षण की वजह से इलाके में शांति को लेकर खतरा बढ़ गया है। पाकिस्तान बातचीत के जरिए दक्षिण एशिया में शांति और स्थायित्व को बढ़ाना चाहता है और वो इस दिशा में काफी काम कर रहा है। लेकिन भारत की ओर से लगातार हथियारों की होड़ का बढ़ावा दिया जा रहा है।

पाकिस्तान ने हिंदुस्तान के मिसाइल परीक्षण के कदम की शिकायत जिस MTCR से की थी। वो आखिर है क्या-

क्या है एमटीसीआर?

मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रेजीम यानी एमटीसीआर 35 देशों का एक समूह है जो हथियारों, परमाणु हथियारों, जैविक और रासायनिक हथियारों और तकनीक पर निगरानी और नियंत्रण रखते हैं। इस समूह का उद्देश्य में दुनिया भर में बढ़ रही है हथियारों की होड़ को रोकना है।

इतना ही नहीं, भारत की तरक्की से जलने वाला चीन भी अग्नि सीरीज की मिसाइलों की जद में आने से सकते में है। अग्नि-4 और पांच के परीक्षण के बाद चीन ने भी इसका विरोध किया था। दरअसल भारत ने जब अग्नि-4 और अग्नि-5 मिसाइलों का परीक्षण किया था। जो ये सीधा सा संकेत था कि अब भारत के परमाणु हमले की ज़द में पूरी दिनिया आ चुकी है। और अब भारत इस क्षमता को और विकसित कर रहा है। अग्नि-6 मिसाइल तैयार करना भी इसी कदम का हिस्सा है।

भारत क्यों छिपा रहा अग्नि-6?

भारत ने अबतक अग्न-6 मिसाइलों की जानकारी आधिकारिक तौर पर नहीं जारी की है। इसके पीछे जानकार एक और कारण ये बताते हैं कि ऐसा भी हो सकता है कि दुनिया में भारत की साख से जलने वाले पाकिस्तान और चीन जैसे देश अग्नि-6 के आधिकारिक ऐलान के बाद इसके खिलाफ दुष्प्रचार भी करने लग जाएं। इसी से बचने के लिए शायद भारत आधिकारिक तौर पर अग्नि-6 के बारे में कोई खुलासा नहीं करना चाह रहा हो।

दरअसल चीन के पास सबसे घातक मिसाइल है डीएफ-41। जिसकी मारक क्षमता 15000 किलोमीटर तक है। जबकि अग्नि 6 मिसाइल की मारक क्षमता करीब 12000 किलोमीटर से ज्यादा हो सकती है। दोनों ही मिसाइलें परमाणु हमला करने में भी सक्षम हैं।

agni

हालांकि इतनी मारक क्षमता के साथ भारत चीन के साथ भिड़ सकता है। क्योंकि दिल्ली से बीजिंग की दूरी 5000 किलोमीटर से ज्यादा नहीं है। फिलहाल चीन ने भारत के सरहदी इलाकों में डीएस-26-21 मिसाइल तैनात कर रखी है। भारत के पास इसको टक्कर देने के लिए के-4 और अग्नि-5 जैसी मिसाइलें मौजूद हैं। साथ ही साथ भारत की सरहदों की सुरक्षा के लिए रफाल भी तैयार हैं। लेकिन चीन की डीएफ-41 को केवल अग्नि-6 ही टक्कर दे सकती है। जिसके अबतक पहले परीक्षण की भी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। अग्नि-6 को यूं ही भारतीय जंगी बेड़े का महाविनाशक नहीं कहा जा रहा है। इसकी खासियतें इसे दुनिया में सबसे बेहतरीन बनाती हैं।

अग्नि-6 मिसाइल की खासियतें

  • अग्नि-6 मिसाइल की मारक क्षमता 12000 किलोमीटर से ज्यादा होगी

  • इस मिसाइल की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि ये मिसाइल एक साथ 4 ठिकानों पर वार कर सकती है

  • वज़न और ऐंगल सेट करके इसकी रेंज बढ़ाई भी जा सकती है

  • इस मिसाइल में छोटी छोटी मिसाइलें फिट होंगी। जिनकी संख्या 4 से ज्यादा होगी

  • इस तरह की मिसाइल अभीतक अमेरिका, चीन औऱ रूस के पास ही है

  • ये मिसाइल अपने साथ परमाणु हथियार भी ले जा सकेगी

  • अग्नि 6 एक साथ दुश्मन देश के कई शहरों को तबाह करने में सक्षम होगी

हालांकि अब देश को इस मिसाइल के परीक्षण का इंतज़ार है। ताकि चीन जैसे देश अपनी हद में ही रहें। भारत और चीन के अलावा सिर्फ दो ही देश ऐसे हैं जिनके पास 10 हज़ार किलोमीटर मार करने वाली कोई मिसाइल हो। इसमें बाकी के दो नाम हैं अमेरिका और रुस का।

10000km के बाकी दो खिलाड़ी

अमेरिका, LGM-30 मिसाइल

  • अमेरिका की सबसे घातक एलजीएम 30 मिसाइल है

  • इस मिसाइल की मारक क्षमता करीब 13000 किलोमीटर है

  • अपने साथ यह मिसाइल एक साथ 3 परमाणु बम ले जा सकती है

  • ये एक साथ 3 अलग-अलग निशानों को भेद सकती है

10000km के बाकी दो खिलाड़ी

रूस, R-36 मिसाइल

  • रूस की सबसे खतरनाक मिसाइल आर 36 है

  • इस मिसाइल की खासियत है कि यह एक बार में 10 लक्ष्यों को भेद सकती है

  • रूस की R-36 मिसाइल की मारक क्षमता 10300 किलोमीटर है

भले ही भारत अग्नि-6 के मिशन को पोशीदा रख रहा है। लेकिन इस कार्यक्रम पर दुनियाभर की नज़र है। साल 2020 के इंटरनेशनल जर्नल, ‘बुलेटिन फॉर एटॉमिक साईंटिस्ट’ के मुताबिक, चीन की राजधानी बीजिंग भी अब भारत की न्युक्लिर मिसाइल की जद में है। जर्नल ने ‘इंडियन न्युक्लिर फोर्सेज़-2020’ नाम से छपे लेख में खुलासा किया है कि भारत की न्युक्लिर-स्ट्रटेजी का जोर अब पाकिस्तान की बजाए चीन की तरफ है। लेख में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि भारत अपने तीन पुराने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम एयरक्राफ्ट, जमीन से मार करने वाले प्लेटफार्म और समंदर से मार करने वाले सिस्टम्स को भी बदल रहा है। हालांकि, जर्नल के लेख में इस बात का खुलासा नहीं किया है कि ये तीन कौन से प्लेटफार्म हैं लेकिन लेख में इशारा परमाणु हथियाल ले जाने में सक्षम फाइटर प्लेन रफाल की ओर, समंदर में हिंदुस्तान की ताकत और परमाणु पावर पर चलने वाली और परमाणु बम दाग सकने वाले INS अरिहंत और भारत की अत्याधुनिक इंटर कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-6 की ओर ही इशारा किया गया था। हाल ही में ग्लोबल थिंकटैंक, ‘सिपरी’ ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया था कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपने एटमी हथियारों का जखीरा बढ़ा रहे हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस एंड रिसर्च सेंटर यानि सिपरी ने जून के महीने में ‘साल 2020 रिपोर्ट’ जारी कर खुलासा किया था कि चीन के पास इस समय करीब 320 परमाणु हथियार हैं जो पिछले साल के मुकाबले बढ़ गए हैं। साल 2019 में चीन के पास 290 एटमी हथियार थे। खास बात ये हैं कि रिपोर्ट के मुताबिक, चीन काफी तेजी से अपने एटमी जखीरे का आधुनिकीकरण कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन, जल और थल यानि जमीन और समंदर से मार करने वाली नई परमाणु मिसाइलें तैयार कर रहा है। इसके अलावा परमाणु-मिसाइल से लैस लड़ाकू विमानों को भी बनाने में जुटा है, जिससे उसका ‘न्युक्लिर-ट्राईड’ पूरा हो सके।

दुनियाभर में हथियारों की खरीद-फरोख्त, सेनाओं के रक्षा बजट और एटमी हथियारों पर पैनी नजर रखने वाले थिंकटैंक, सिपरी के मुताबिक पाकिस्तान के पास इस समय 150-160 एटमी हथियार हैं। इसका मतलब है कि चीन और पाकिस्तान के कुल मिलाकर करीब 480 परमाणु हथियार हैं। इन एटमी हथियारों में बम, मिसाइल और उनकों दागने वाले लड़ाकू विमानों को शामिल किया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के परमाणु हथियारों में भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ोत्तरी हुई है। साल 2019 में जहां भारत के पास कुल 130-140 एटमी हथियार थे। वहीं साल 2020 ये नंबर बढ़कर 150 हो गया है लेकिन ये संख्या चीन और पाकिस्तान के एटमी जखीरे से कम है।

हालांकि, रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपनी न्युक्लिर-फोर्सेज़ का साइज तो बढ़ा ही रहे हैं साथ ही अलग-अलग तरह के एटमी हथियारों को अपने जखीरे में शामिल भी कर रहे हैं। लिहाज़ा भारत को इन्हें काउंटर करने के लिए महाशक्तिशाली बनना बेहद ज़रूरी भी है।

2009 तक यह बताया गया था कि भारत सरकार 10,000 किमी या इससे ज्यादा सीमा वाली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल यानि आईसीबीएम के विकास पर विचार नहीं कर रही है। लेकिन लंबी दूरी की इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के लिए कार्यक्रम की अटकले 2011 में शुरू हुईं। 20 जून 2011 को, भारतीय रक्षा समाचार ने 10,000 किमी आईसीबीएम के बारे में भारत गंभीर नाम का एक लेख प्रकाशित किया जिसमें कहा गया है कि भारत अपनी रणनीतिक मिसाइलों की पहुंच को बढ़ाने के लिए गंभीरता से विचार कर रहा है और रक्षा मंत्रालय रक्षा महासंघ के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है कि इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल 10,000 किलोमीटर दूर लक्ष्य को मारने में सक्षम होनी चाहिए।। मई 2012 में, रिपोर्टों ने अग्नि श्रृंखला में एक और आईसीबीएम अग्नि 6 मिसाइल के विकास की पुष्टि की गई। जनवरी 2013 में डीआरडीओ के तत्कालीन प्रमुख वी के सरस्ववत ने कहा कि अग्नि-5 के विकास के बाद, डीआरडीओ अग्नि 6 का विकास करेगी, और अब इस प्रोजेक्ट को पूरा हो चुका बताया जाता है। हालांकि आधिकारिक रुप से इसकी घोषणा तो नहीं हुई है। लेकिन अग्नि-6 के नाम ने ही दुश्मनों की नींद हराम की हुई है।

 

 

 

 

 

 

 

 

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