Monday, January 31, 2022
बागेश्वर का बागनाथ मंदिर जहां बाघ रूप में विराजते हैं भगवान शिव
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उत्तराखंड अपनी नायाब खूबसूरती के लिए जाना जाता है..उत्तराखंड की खूबसूरती को शब्दों में बयां कर पाना बेहद मुश्किल है.उत्तराखंड में चारधाम के साथ-साथ कई प्राचीन मंदिर हैं..जिनमें पूजा-अर्चना के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं.उत्तराखंड का एक ऐसा ही शहर है बागेश्वर जो अपने प्राचीन मंदिरों के लिए देशभर में जाना जाता है.बागेश्वर जिले को भगवान शिव का शहर भी कहा जाता है.कारण यहां स्थित बागनाथ मंदिर में भगवान शिव विराजमान हैं.बागनाथ मंदिर गोमती,सरयू और भागीरथी तीन नदियों के संगम पर स्थित है.कहा जाता है कि इसी स्थान पर ऋषि मार्कण्डेय ने तप किया था और उनके तप से खुश होकर भगवान शिव ने मार्कण्डेय को दर्शन दिया था.ऐसी मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव बाघ और माता पार्वती गाय का रूप धारण करके रहते थे.बागनाथ मंदिर का निर्माण 1450 में कुमाऊं के राजा लक्ष्मी चंद ने करवाया था.यहां मकर संक्राति के समय में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होती है.कहते हैं बागेश्वर में सभी पापों से मुक्ति मिलती है.आपको बता दें कि बागनाथ मंदिर में स्थापित मूर्तियां 7वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी के बीच की हैं..आपको बता दें कि बागनाथ मंदिर समुद्ध तल से 1 हजार 4 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है..शिवरात्रि के मौके पर भी भारी संख्या में शिवभक्त यहां पहुंचते हैं.बागनाथ मंदिर में मुख्य रूप से बेलपत्री से पूजा होती है.कुमकुम,चंदन,बछड़े और बताशे चढ़ाने की भी परंपरा है.खीर और खिचड़ी का भोग लगाया जाता है.इस मंदिर में मुख्य द्वार पर बड़ी-बड़ी घंटियां लगी हुई है जो दिन भर बजती रहती हैं.बागेश्वर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई के बीच का है।बागेश्वर धाम की यात्रा के लिए मॉनसून के समय को छोड़कर आप किसी भी महीने का चुनाव कर सकते हैं.

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