Monday, January 31, 2022
Mahashivratri : शिवरात्रि पर ये चमत्कारी उपाय करें, भगवान शिव की बरसेगी कृपा
ख़बर शेयर करें

नई दिल्ली : महाशिवरात्रि आने वाली है। वो दिन जो शिव को प्रसन्न करने का दिन होता है और अगर महादेव को खुश कर लिया, तो मानिए कि आपके सभी कष्टों से मुक्ति मिलना तय है। इस मौके पर चलिए आपको बताते हैं भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रयोग होने वाले शिव के सबसे अनमोल रत्न के बारे में। कहा जाता है इसे धारण करने वाले के साथ भगवान शिव साक्षात विचरते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं शिव के आंसू यानी रुद्र के अक्ष अर्थात् रुद्राक्ष की।
लेकिन रुद्राक्ष धारण करने से पहले ये जानना बेहद ज़रूरी है कि

1 क्या इसे पहनना इतना आसान है?
2 क्या इसे हर कोई पहन सकता है?
3 कितने मुखी होते हैं रुद्राक्ष?
4 क्या हैं रुद्राक्ष धारण करने के फायदे और नुकसान?

shiv2

रुद्राक्ष का महत्व

रुद्राक्ष का अर्थ है रुद्र का अक्ष अर्थात शिव के अश्रु। भगवान शिव की आंखों से निकलने वाले आंसू शिवांश होने के लिहाज़ से शास्त्रों में भी बेहद पवित्र माने गए हैं। इसी धारना का पालन करते हुए रुद्राक्ष को शिव का प्रसाद समझते हुऐ इसे आभूषण की तरह, सुरक्षा के लिहाज से, पूजा-पाठ, घर की शांति और मन की शांति के रूप में उपयोग में लाया जाने लगा।
रुद्राक्ष के 17 प्रकार होते हैं लेकिन प्रयोग में सिर्फ 11 प्रकार के रुद्राक्ष ही आते हैं। जिनका लाभ भी अद्भुत है और प्रभाव भी अचूक है। लेकिन रुद्राक्ष को धारण करना इतना आसान भी नही है। बिना नियम पालन किए रुद्राक्ष धारण करने से न रुद्राक्ष पहनने का लाभ होता है न इसका कोई सकारात्मक प्रभाव ही होता है, बल्कि इसका प्रभाव उल्टा होता है जो नुकसान भी कर सकता है।

क्या हैं रुद्राक्ष पहनने के नियम

1- रुद्राक्ष कलाई, कंठ और हृदय तक ही धारण कर सकते हैं।
2- इसे कंठ तक धारण करना सबसे उत्तम है।
3- कलाई में 12, कंठ में 36 और हृदय तक 108 दानों वाली रुद्राक्ष की माला पहनना सर्वेत्तम बताया गया है।
4- अगर रुद्राक्ष का एक दाना धारण करना हो तो ध्यान रहे कि वो हृदय तक लाल धागे में हो।
5- रुद्राक्ष सावन में या शिवरात्रि पर धारण करना शुभ माना गया है।
6- रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक का सात्विक रहना अनिर्वाय है, नहीं तो इसका लाभ नहीं मिलता।
7- बिना शिव को अर्पित किये तो रुद्राक्ष पहनने का महत्व ही नहीं है। तो रुद्राक्ष धारण करने से पहले इसे महादेव अर्पित करें।

विभिन्न प्रकार के रुद्राक्ष और लाभ

1- एक मुखी: एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव का स्वरूप माना जाता है। जिनकी कुंडली में सूर्य से संबंधित परेशानियां हों, तो ऐसे लोगों को एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना श्रेष्ठ माना गया है।
2- दो मुखी: ये अर्द्धनारीश्वर स्वरूप माना गया है। अगर वैवाहिक जीवन में समस्या हो तो दो मुखी रुद्राक्ष पहनने से लाभ होता है।
3- तीन मुखी: ये तेज और अग्नि का स्वरूप है। अगर किसी की कुंडली में मंगल दोष है और इसका निवारण चाहते हैं तो इसे धारण करें।
4- चार मुखी: ये ब्रह्मा का स्वरूप कहा जाता है। ये वाणी और त्वचा रोगों के लिये अति उत्तम है।
5- पांच मुखी: इसको कालाग्नि भी कहा जाता है। इससे मंत्र शक्ति का अद्भुत ज्ञान होता है और किसी प्रकार की शिक्षा से संबधित समस्या हो तो चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करें।
6- छह मुखी: इसे कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है इसे धारण करने से आर्थिक स्थिति सुधरती है।
7- सात मुखी: यह सप्तमातृ और सप्त ऋषियों का स्वरूप माना जाता है। बहुत अधिक गंभीर बीमारियों में इसे धारण करने से कष्टों में कमी आती है।
8- आठ मुखी: ये अष्टदेवियों का स्वरूप है और इसको धारण करने से अष्ट सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ऐसा रुद्राक्ष धारण करने से आकस्मिक धन मिल सकता है और बुरी शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता।
9- ग्यारह मुखी: एकादश मुखी रुद्राक्ष को शिव का स्वरूप बताया गया है। इसे धारण करने से संतान प्राप्ति सुलभ हो जाती है। लिहाज़ा संतान से संबधित समस्या से छुटकारा पाने के लिए एकादश मुखी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है।

Tags: , , , , , , , ,

Related Article

No Related Article


FOLLOW US

RECENTPOPULARTAG