Monday, January 31, 2022
INS VIKRANT: भारतीय नेवी को 2022 तक मिल सकता है दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर. राजनाथ सिंह ने लिया INS विक्रांत का जायज़ा
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कोच्चि: चीनी ड्रैगन के घमंड का फन कुचलने के लिए भारत अब उसे उसी की ज़ुबान में सबक सिखा रहा है. LAC पर जब चीन ने सैनिक जमावड़ा बढ़ाया तो भारत ने अपनी अदम्य साहस वाली फौज सामने खड़ी कर दी. चीन ने जब गलवान में प्राहर किया. तो भारत ने लड़ाकों ने चीन के चेहरे पर तमाचा जड़ दिया. एशिया पैसिफिक रीजन में जिस तरह से ड्रैगन अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है भारत ने भी इसी अंदाज़ में अपनी सेनाओं में बेशुमार ताकत का इज़ाफा कर लिया है. इसके लिए भारत दूसरे मुल्कों की मदद नहीं ले रहा बल्कि खुद मेक इन इंडिया अभियान के तहत सेनाओं की रगों में फौलाद भर रहा है. इस बार ड्रैगन को चित करने के लिए भारत अपना नया ब्रह्मास्त्र बना चुका है. बस ट्रायल और फिर समंदर में उतरेगा भारत का स्वेदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत. आईएनएस विक्रांत पूरी तरह से तैयार होने पर दुश्मनों का काल बन जाएगा. इसकी खूबियां जानकर आप दंग रह जाएंगे.

समंदर का शहंशाह INS विक्रांत

1- भारतीय नौसेना का समंदर में सबसे घातक हथियार साबित हो जाएगा
2- विक्रांत पर मिग-29K फाइटर जेट्स, कामोव हेलीकॉप्टर, एंटी सबमरीन हेलीकॉप्टर, MH-60R और स्वदेशी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर तैनात रहेंगे
3- आईएनएस विक्रांत में लंबी दूरी की एयर पावर प्रोजेक्शेन करने की क्षमता भी है
4- इसमें एयर इंटरडिक्शन, एंटी-सरफेस वारफेयर, आक्रामक और रक्षात्मक काउंटर-एयर, एयरबोर्न एंटी-सबमरीन वारफेयर और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग भी है
5- 260 मीटर लंबे इस युद्धपोत में दो टेक-ऑफ रनवे और 3 अरेस्टर के साथ एक लैंडिंग स्ट्रिप होगी
6- विमान को उड़ान भरने में मदद के लिए इसमें 37,500 टन का रैम्‍प लगाया गया
7- इसके अलावा स्वदेशी तेजस के नेवी वर्जन को भी इसके लिये तैयार किया जा रहा है

हेलीकॉप्टर्स की बात करें तो अमेरिकी रोमियो हेलीकॉप्टर के अलावा सी किंग और स्वदेशी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव भी इस कैरियर पर तैनात किए जा सकते हैं. INS विक्रांत भारत की ओर से युद्ध का गेम चेंजर साबित होगा. क्योंकि एयरक्राफ्ट कैरियर को किसी भी नौसेना का सबसे अहम हथियार माना जाता है. पूर्व नौसेना प्रमुख अरुण प्रकाश इसे आक्रामक चीन का मुकाबला करने के लिए बेहद शक्तिशाली हथियार मानते हैं.. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर चीन हिंद महासागर में तीन एयरक्राफ्ट कैरियर भेजता है तो कितनी भी पनडुब्बियां और विध्वंसक उनका सामना नहीं कर पाएंगे. उस वक्त सिर्फ एयरक्राफ्ट कैरियर ही चीन को चित करने का एकमात्र हथियार होगा. किसी भी युद्ध का परिणाम अपनी ओर झुकाने की एयरक्राफ्ट कैरियर की इसी कुव्वत को चीन भी जानता है. यही कारण है कि चीन अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर बना रहा है. अभी भारतीय नौसेना के पास INS विक्रमादित्य नाम का इकलौता एयरक्राफ्ट कैरियर है.

भारत के पास है INS विक्रमादित्य एयरक्राफ्ट कैरियर

1- INS विक्रमादित्य एक साथ 30 विमानों और हेलीकॉप्टरों को ले जा सकता है
2- इस पर एक समय में 1,600 नौसैनिक तैनात हो सकते हैं
3- एयरक्राफ्ट कैरियर एक बार में 45 दिनों तक समुद्र में रहकर 13,000 किलोमीटर का सफर तय कर सकता है

पाकिस्तान और चीन की तरफ से बढ़ते दोहरे खतरे को देखते हुए नौसेना के पास इस वक्त दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर होना. भारत की जीत की पक्की गारंटी की तरह होगा और डिफेंस एक्सपर्ट्स भी यही कहते हैं. 40,000 टन वजनी इस युद्धपोत को तैयार करने पर 3,500 करोड़ रुपये की लागत आएगी. मुद्र में चीन की दादागीरी पर लगाम लगाने कि लिए भारतीय स्वदेशी INS विक्रांत अगले साल के अंत या फिर साल 2023 तक भारतीय नौसेना के सुपुर्द कर दिया जाएगा. पाकिस्तान से निपटने के लिए अरब सागर में भारतीय नौसेना के कैरियर बैटल ग्रुप तो तैनात है हीं लेकिन बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के इलाके पर अपनी ताकत को बरकरार रखने के लिए जल्द एक और कैरियर बैटल ग्रुप तैनात होगा. इस एयरक्राफ्ट कैरियर के बन जाने के बाद भारत दुनिया के उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो जायेगा जिनके पास एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की तकनीक है. पिछले साल ही कोच्चि शिपिंग यार्ड में इस एयरक्राफ्ट कैरियर हार्बर ट्रायल और बेसिन ट्रायल को पूरा कर लिया गया था. यानी समुद्री ट्रायल से पहले शिप में लगे सारे उपकरण की जांच की जाती है कि वो सही तरह से काम कर रहे है या नहीं. फिलहाल भारतीय नौसेना के पास जो इकलौता एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रामादित्य पश्चिमी समुद्र तट पर कारवाड़ में तैनात है. ये नया एयरक्राफ्ट कैरियर पूर्वी समुद्र तट पर विशाखापट्टनम में तैनात किया जाएगा. चूंकि भारत को कम से कम तीन एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत है ऐसा इसलिए क्योंकि जब भी एक कैरियर रिपेयर के लिए गया हो तो कम से कम दो एयरक्राफ्ट कैरियर अपनी सेवाए दे रहे हों. फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य ताकतें अपने एयरक्राफ्ट कैरियर्स के बूते समंदर की सरताज बनी हुई हैं.

महाशक्तियों के पास हैं एयरक्राफ्ट कैरियर्स

1- अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, फ्रांस और इटली समेत अधिकतर देश ऐसे एयरक्राफ्ट कैरियर्स ऑपरेट कर रहे हैं
2- दुनिया के 13 देशों के पास इस वक्त 41 एयरक्राफ्ट कैरियर हैं, जबकि कई अन्य देशों ने इन्हें खरीदने की इच्छा जताई है
3- 2012 में चीन ने अपना पहला स्वदेशी युद्धपोत नौसेना में शामिल किया था, अब वो तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर बना रहा है
4- चीन का लक्ष्य 2050 तक 10 ऐसे युद्धपोत तैयार करना है

समंदर में भारत के खिलाफ साजिशें रचने वाले चीन और पाकिस्तान जैसे मुल्कों को अब INS विक्रांत की चुनौती का सामना करना होगा. ऐसा हुआ तो दुश्मन का दी एंड तय मानिये.. क्योंकि INS विक्रांत को दुश्मनों की मौत का सामान बनाने के लिए इसपर चार OTO मेलारा 76mm डबल यूज तोपों के के साथ ही चार AK-630 क्लोज-इन वेपन सिस्टम भी लगाया गया है. इसमें दो 32 सेल वीएलएस यानि वर्टिकल लॉन्च सिस्टम भी हैं, जो कुल 64 मिसाइल दागने में सक्षम हैं.  INS विक्रांत पर कम दूरी के दुश्मनों को जहन्नुम पहुंचने के लिए इजरायली बराक 1 सरफेस से हवा में मार करने वाली मिसाइल और लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और मिसाइलों सहित एरियल टारगेट के खिलाफ लंबी दूरी के दुश्मनों के मौत का वारंट लाने के लिए इज़राइल की खूंखार बराक 8 मिसाइलें भी लगाई गई हैं. ये मिसाइलें 90 किलोमीटर की दूरी पर भी किसी भी तरह के आसमानी खतरे को मौत की नींद सुला सकती हैं. हवाई जहाजों और हेलीकॉप्टरों के अलावा यह सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों और मिसाइलों को भी मार गिरा सकती हैं. INS विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के साथ ही ये तय है कि भविष्य में भारतीय नौसेना दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी नौसेना बन जाएगी‌. इसका काम भी ज़ोरों पर चल रहा है. फिलहाल भारतीय नौसेना के जो 42 युद्धपोत अलग-अलग शिपयार्ड में बन रहे हैं, उनमें से 40 भारत में ही तैयार हो रहे हैं. एक बार चालू हो जाने के बाद, आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना का सबसे शक्तिशाली समुद्री-आधारित एसेट होगा. समंदर की जिन लहरों पर INS विक्रांत राज करेगा. वहां दुश्मन का परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा क्योंकि करियर के पास लगभग 35-40 विमान होंगे. जिसमें नेवल फाइटर्स, पनडुब्बी रोधी हेलीकाप्टर और नौसेना यूएवी भी होंगे. उम्मीद है कि INS विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के बाद इसका अगला साथी और भारत का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर भी जल्द से जल्द नौसेना को मिल सकेगा.


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