जयपुर: राजस्थान सरकार ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम में शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बना दिया है. आज दोपहर में ही इस बात की चर्चा हो रही थी कि मेयर का चार्ज किसी महिला ओबीसी पार्षद को दे दिया जाए. दरअसल जयपुर की ग्रेटर नगर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर और 3 पार्षदों पार्षद पारस जैन, शंकर शर्मा, अजय सिंह चौहान को निलंबित किए जाने के बाद जयपुर में नगर की सरकार वर्सेस राज्य की सरकार हो गया है. बीजेपी जहां मामले को हाईकोर्ट ले जाने के लिए तैयार है और प्रदेश भर में कल सुबह 11 बजे तमाम ज़िला मुख्यालयों पर प्रदर्शन का ऐलान कर चुकी है. वहीं राज्य सरकार ने भी कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी है. जिसका मतलब ये है कि जब कोर्ट बीजेपी की सुनवाई करेगा, तो वो सरकार का पक्ष भी सुनेगा.
बीजेपी ने उठाए थे सवाल
इससे पहले सरकार ने मेयर और पार्षदों का निलंबन जिस RAS अधिकारी रेणु खंडेलवाल की रिपोर्ट के आधार पर किया था, बीजेपी ने उसपर सवाल उठाए थे. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने हालांकि मेयर और पार्षदों को निलंबित करने के पीछे तर्क दिया था कि ये लोग पद पर रहने के दौरान जांच को प्रभावित कर सकते थे.
ये था पूरा मामला
आपको पूरा घटनाक्रम बता दें, दरअसल 4 जून को सफाई के मुद्दे को लेकर पार्षदों और ग्रेटर निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के बीच विवाद हुआ था. निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव ने इसके बाद पार्षदों पर हाथापाई करने का आरोप लगाया. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने मामले की जांच क्षेत्रीय उपनिदेशक रेणु खंडेलवाल को सौंपी थी. रेणु खंडेलवाल ने दोनों पक्षों को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस दिए. बताया जा रहा है कि निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव ने अपना पक्ष रख दिया. लेकिन मेयर और पार्षदों ने इसके लिए वक्त मांगा. रेणु खंडेलवाल ने वक्त बढ़ाकर कल दोपहर तक का वक्त दिया था. लेकिन सभी अपना पक्ष रखने के लिए नहीं पहुंचे. सभी ने और वक्त देने की मांग की. इसके बाद रेणु खंडेलवाल ने अपनी रिपोर्ट डीएलबी को सौंप दी. देर रात डीएलबी ने मेयर और तीन पार्षदों को निलंबित कर दिया. इसके लिए जांच प्रभावित होने का हवाला दिया गया है.