जैसलमेर : सूर्य नगरी जैसलमेर (Jaisalmer) में 24 फरवरी से शुरू हुआ मरु महोत्सव (Maru Mahotsav 2021) 4 दिन के बाद खत्म हो गया। इस दौरान देश-दुनिया से पहुंचे हज़ारों सैलानियों ने भी राजस्थानी रंगों, गीत, संगीत, कला और संस्कृति के संगम में डुबकी लगाई। मरु होत्सव 2021 का आगाज़ सोनार दुर्ग (Sonar Forte) से हैरिटेज वॉक (Heritage Walk) का शुभारम्भ करके किया गया। समारोह में गायक कैलाश खेर का प्रोग्राम सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहा।
मरू महोत्सलव के पहले दिन आयोजन की शुरुआत हैरिटेज वॉक के साथ हुई। हैरिटेज वॉक के गड़ीसर झील पहुंचने के बाद 21 हजार दीपकों से दीपमाला का आयोजन किया गया। शोभायात्रा में छात्राओं ने रंग-बिरंगी पोशाक पहन कर सिर पर मंगल कलष धारण किये थे जो शोभायात्रा का आकर्षण केन्द्र रही। शोभायात्रा को देखने शहर भर का जनसैलाब उमड़ पड़ा। शोभायात्रा का जोश-खरोश के साथ स्वागत किया गया।
शोभा यात्र के पीछे सीमा सुरक्षा बल के 48 सजे धजे ऊंटों के पर बैठे सीमा प्रहरी का कारवां शोभा यात्रा में चार चांद लगा रहा था। शोभा यात्रा मे सीमा सुरक्षा बल के बाके जवान दुल्हें की पोशाक पहने हुए और अपने हाथों में हाथों में भाले लिये हुए थे। विश्व के आठवें अजूबे कैमल माउन्टेन बैण्ड पर राजस्थानी गीतों पर मधुर धुन ने पूरे महौल को संगीत से सरोबार सा कर दिया।
मरु महोत्सव के आगाज़ की शाम विश्व विख्यात सूफी गायक कैलाश खेर (Kailash Kher) की आवाज़ से रंगीन हो गई। कैलाश खेर ने अपनी जादुई आवाज से वहां मौजूद सभी लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
मरु महोत्सव के दूसरे दिन पर्यटन का महाकुंभ कहे जाने वाले मरु महोत्सव को लेकर स्वर्णनगरी जैसलमेर की छटा पर्यटन रंगों में सरोबार नजर आई. इसके साथ ही देश-विदेश से आए हजारों सैलानियों के साथ स्वर्ण नगरी की सड़कें गुलजार रहीं, जहां देखो उधर लोक संस्कृति के रंग बिखरे दिखाई दिए. इस दौरान कालबेलिया समेत दूसरे नृत्य देखकर सैलानी और स्थानीय लोगों में उत्साह दिखा. मरू महोत्सव के दूसरे दिन मिस्टर डेजर्ट, मिस मूमल प्रतियोगिता के प्रतिभागी शोभायात्रा के आकर्षण के मुख्य केंद्र रहे। सबसे प्रतिष्ठित मिस मूमल (Miss Moomal 2021) और मिस्टर डेजर्ट (Mr Desert 2021) प्रतियोगिता में कई प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। जिसमे जैसलमेर की रहने वाली लक्षिता सोनी ने मिस मूमल का ख़िताब जीता तो कृष्णा पारीक मिस्टर डेसर्ट 2021 के खिताब से नवाजे गये। तो साफा बांध प्रतियोगिता में जीवनपाल सिंह अव्वल आए जबकि अजीज खान मोकला दूसरे और गंगाराम चौधरी और हंसाराम तीसरे नंबर पर रहे। वहीं रौबदार मूंछ और दाढ़ी के बीच राजस्थानी वेशभूषा में देहाती ग्रामीणों का वेशभूषा में युवाओं ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया।
जैसलमेर मरु महोत्सव की दूसरी रात गड़ीसर झील पर शुरू हुई जहां ‘रॉकिंग म्यूजिकल नाईट विथ सूर्यवीर’ (Musical night with Suryaveer) की रंगारंग प्रस्तुतियों को देखने झील किनारे बड़ी संख्या में पहुंचे। गड़ीसर झील में बने आकर्षक और रंग-बिरंगी रोशनी बिखेरते मंच से रॉकस्टार बालीवुड (Bollywood) सिंगर सूर्यवीर की गायकी की धुन पर तटों पर जमा लोग संगीत की मस्ती में झूम गए।
मरु महोत्सव के तीसरे दिन शान-ए-मरुधरा प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें कलाकारों ने अपने अपने अंदाज से सबका मन मोह लिया। इस दौरान देश की आन बान और शान देश के जवान आर्मी बैंड की धुन पर सब थरक उठे। महिलाओं के बीच हुई रस्साकशी, कबड्डी और पनिहारी मटका दौड़ ने दर्शकों का दिल जीत लिया। पणिहारी मटका रेस प्रतियोगिता में देसी-विदेशी महिलाओं ने हिस्सा लिया। सीमा सुरक्षा बल ने ऊटों के हैरत अंगेज करतबों वाले ‘कैमल टैटू शो’ दी प्रतुति दी जिसे देखकर दर्शक हैरान रह गए। मंत्री शाले मोहम्मद (Shale Mohammad), वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई (Sukhram Vishnoi) और शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा (Education minister Govind Singh Dotasara) ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया.
स्थानीय लोक कलाकारों ने डीजे डेश ने खड़ताल और फ्यूजन की पेशकश पेश की. कलाकारों ने ‘केसरिया बालम आवो नी, म्हारी सभा में रंग बरसावो नी’, मोरचंग, डीजे फ्यूजन और रीमिक्स ‘पिया रे पिया रे, म्हारे हिवड़े में नाचे मोर, गोरबंध नखरालों तथा हरियाली बन्ना हो, को नए अन्दाज में पेश कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया.
मरु महोत्सव का जितना शानदार आगाज हुआ उनता बेहतरीन ही समापन भी हुआ। मरु महोत्सव के चौथे दिन रेतीले धोरों पर कलाकारों महाकुंभ लगा। विश्व भर में लोक संस्कृति के शोख-चटख मौलिक रंगों की बदौलत अपनी अनूठी पहचान रखने वाले परंपरागत मरु महोत्सव का आखिरी पड़ाव रेतीले मखमली धोरों पर रहा। सम के धोरों पर पहली बार हर फन के कलाकारों का कुंभ लगा। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूम मचाने वाले और बड़े-बड़े नामी लोक कलाकार शामिल हुए तो नवोदित कलाकारों ने अपनी कला से सबका दिल जीत लिया। सुनों के संगम में संगीत और संस्कृति दीवानों और कद्रदानों ने भी हिस्सा लिया। इस तरह मरुधरा की शान मरु महोत्सव का समापन सुरों की तान पर खत्म हुआ। लेकिन हर दिल में अगले महोत्सव तक इसकी यादें ताज़ा रहेंगी।