Monday, January 31, 2022
Russia Vs Ukraine: दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर धकेलते रूस और यूक्रेन, पुतिन के यूरन-9 टैंक तैनात
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रूस और यूक्रेन के बीच किसी भी वक्त बड़े युद्ध की आशंका से दुनिया डरी हुई है। हालात ये है कि पिछले एक हफ्ते के दौरान रूस और यूक्रेन की सीमा पर भारी मोर्चा बंदी हो चुकी है। रूस ने अपने 4000 से ज्यादा सैनिक यूक्रेन सीमा पर तैनात कर दिए हैं। पुतिन ने यूक्रेन को रौंदने के लिए रोबोटिक टैंक मैदान में उतार दिए हैं। इतना ही नहीं। रूस ने यूक्रेन के खिलाफ बेहद तल्ख भाषा का इस्तेमाल भी किया है।रूस ने ये तक कह दिया है कि ये यूक्रेन के अंत की शुरुआत भी हो सकती है। रूस के इस बयान के बाद दुनिया डरी हुई है कि कहीं ये तीसरे वर्ल्ड वॉर की आहट तो नहीं। क्योंकि नाटो में शामिल यूक्रेन के पक्ष में भी अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और तुर्की समेत कई देश खुलकर आ गए हैं। उधर, रूस ने भी दुनियाभर के देशों के दबाव को खारिज करते हुए सीमा पर हथियारों और सैनिकों की तादाद को बढ़ा दिया है। यूरोप में हाई अलर्ट जैसे हालात हैं। अमेरिका ने स्थिति पर निगाहें बनाए रखी हैं। और तो और अमेरिका ने यूक्रेन की मदद के लिए तुर्की से बात करके जंगी जहाज़ भेजने की तैयारी भी कर ली है।

एंजेला मार्केल ने फोन पर की पुतिन से अपील

इस बीच जर्मनी की चांसलर एजेंला मर्केल ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा है कि वह उन सैनिकों को पीछे हटा लें जिन्हें यूक्रेन के साथ लगने वाली सीमा पर तैनात किया गया है। लेकिन जर्मनी की इस अपील को रूस ये कहते हुए खारिज कर दिया है कि उसे अपनी सीमा के अंदर देश और देश के लोगों की सुरक्षा के लिए काम करने का अधिकार है। रूस ने पूर्वी यूरोप से लगे यूक्रेन को चारों तरफ से घेर लिया है। जर्मनी की अपील के बाद भी रूस ने डोनबास के वोरोनेक और क्रासनोडर में तैनात की गई तोपों को पीछे नहीं किया है। दरअसल लंबे वक्त से यूक्रेन अपनी सीमा पर रूस समर्थित अलगाव वादियों से लड़ता चला आ रहा है। लेकिन अब जबकि यूक्रेन ने इन अलगाव वादियों के खिलाफ अपने तोपखाने का मुंह खोल दिया है। तो रूस इलाके में रह रहे अपने नागरिकों को बचाने की बात कहकर आर पार की जंग का ऐलान कर दिया है। रूस ने कहा है कि ‘अब हालात ये हो गए हैं कि गोली अब पैर में नहीं मारी जाएगी। गोली सीधे चेहरे पर मारी जाएगी।’ यानि रूस ने साफ कर दिया है कि वो अब किसी से न तो दबेगा। न तो डरेगा। यूक्रेन को जो करना है वो कर ले।

 

दोनों देशों के बीच झगड़े की वजह

  • दोनों देशों के बीच विवाद की जड़ है क्रीमिया। यूक्रेन की सरकार पूर्वी डोनेस्क और लुगांस्क क्षेत्रों यानि डोनबास के हिस्से में रूस के समर्थन वाले अलगाववादियों से लड़ रही है।
  • दरअसल साल 2014 में रूस ने क्रीमिया को जबरन रूस में मिला लिया था तभी से डोनबास में विवाद चल रहा है। यूक्रेन का कहना है कि रूस इस इलाके में अंशाति के लिए ज़िम्मेदार है।
  • रूस समर्थिक इस अलगाववादी जंग में अभी तक 14 हजार लोगों की मौत हो गई है। साल 2015 में युद्धविराम के बावजूद यहां हिंसा बनी हुई है।
  • साल 2021 में ही 24 सैनिकों ने अपनी जान गंवाई है। अब रूस ने मार्च की शुरुआत से सैनिकों की तैनाती बढ़ाना शुरू कर दिया है, जिससे युद्ध की आशंका बढ़ गई है।

दो धड़े में बंटी दुनिया

रूस और यूक्रेन के बीच जंग के हालात ने दुनिया को दो धड़े में बांट दिया है। दरअसल यूक्रेन की सरहदें यूरोप से लगती हैं। यहां की अस्थिरता का सीधा असर यूरोप में पड़ना तय है। लिहाज़ा यूरोपीय देश युद्ध के मुहाने पर खड़े दोनों देशों से संयम बरतने की अपील कर रहे हैं। इन सबके बीच एक बात ये भी साफ है कि दुनिया में अपना दबदबा कायम रखने के लिए हर कोशिश करने वाला अमेरिका। रूस का धुर विरोधी भी है। अब जबकि रूस और यूक्रेन आमने सामने है। तो अमेरिका यूक्रेन की मदद के लिए खुलकर आगे आ गया है। उसने यू्क्रेन की मदद लिए अपने नाटो सहयोगियों से तो बात की ही है। जर्मनी ने कहा है कि वह रूस के खिलाफ नाटो देशों की हर कार्रवाई का समर्थन करेगा। उधर अमेरिका ने अपने जंगी बेड़े को रूस के खिलाफ मैदान में उतार दिया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने  इसी हफ्ते में यूक्रेन के पांच सैनिकों की मौत को भी बेहद चिंताजनक बताया है।

जंग को हवा दे रहा अमेरिका

ऐसे में रूस और यूक्रेन के बीच का विवाद भले ही दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध में न धकेलता। लेकिन पूरे सीन में अमेरिका की एंट्री और अपनी सेना को यूक्रेन की मदद के लिए भेजना, स्थिति को शांत होने ही नहीं देगा। ऐसी हालत में अगर यूक्रेन और रूस के बीच हुआ तो इसका नुकसान पूरी दुनिया को तो उठाना ही पड़ेगा, लेकिन इसका सबसे ज्यादा फ़ायदा अमेरिका को ही होगा। क्योंकि उसका पुराना दुश्मन रूस इसी बहाने उसके सामने और कमज़ोर हो जाएगा।

 

अमेरिका ने डाला आग में घी

रुस के खिलाफ अमेरिका ने अपने जंगी जहाज काला सागर में बोसफोरस के रास्ते भेजने के लिए तुर्की से अनुमति मांगी है। तुर्की ने पुष्टि की है कि अमेरिका के जहाज 14 और 15 अप्रैल को इस समुद्री रास्ते से गुज़रेंगे। क्षेत्र में अमेरिकी जहाजों के आने के बाद यहां तनाव और बढ़ने की आशंका है। यूक्रेन की इस कोशिश में अमेरिका उसके समर्थन में है जबकि रूस भड़क रहा है।

खुफिया समूह द कंफ्लिक्ट इंटेलिजेंस के एक विश्लेषण के मुताबिक, यूक्रेन और रूस के विवाद वाले इलाके में साइबेरिया की तरफ से दूर से आने वाले सैन्य वाहनों के काफिले तेजी से बढ़े हैं। रूस ने पूर्वी डोनबास के वोरोनेक और क्रासनोडर में हजारों सैनिक टैंक और मिसाइलें तैनात कर दी हैं।  इसके अलावा स्थानीय स्तर पर रूसी समर्थकों वाले डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्र में भी रूस ने विद्रोह भड़काने की तैयारी कर रखी है।

रूस ने की घेराबंदी

सैटेलाइट और सोशल मीडिया में आई तस्वीरें बताती हैं कि पूरे विवादित इलाके में रूस ने यूक्रेन को घेर लिया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने शुक्रवार शाम को सीमाई क्षेत्रों का दौरा भी किया था। उधर, रूसी संसद के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि पूर्वी यूक्रेन में हालात ‘बेहद अस्थिर’ हैं। उन्होंने चेताया कि क्षेत्र में यूक्रेन को लेकर ईयू और अमेरिका की जिस तरह की कार्रवाई चल रही है उससे युद्ध का खतरा बढ़ रहा है।

जिसके बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश पर रूसी सेना में रोबोट टैंक की यूनिट्स को एक्टिव कर दिया गया है। रूस के इस कदम को तीसरे विश्वयुद्ध की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि, नाटो में शामिल यूक्रेन के पक्ष में भी अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और तुर्की समेत कई देश खुलकर आ गए हैं। उधर, रूस ने भी दुनियाभर के देशों के दबाव को खारिज करते हुए सीमा पर हथियारों और सैनिकों की तादाद को बढ़ा दिया है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अमेरिका समेत यूरोपीय देशों को चेतावनी देते हुए तनाव न भड़काने की सलाह दी है।

अपने खिलाफ दुनिया के खड़े हो जाने की इसी आशंका को रूस पहले ही भांप चुका था। लिहाज़ा उसने इसकी तैयारी 2-3 साल पहले से ही शुरू कर दी थी। यूक्रेन सीमा पर अनमैंड टैंक यूरन-9 की तैनाती से पहले ही रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने इसी हफ्ते मॉस्को के पास नखाबिनो में रोबोट टैंक की उत्पादन फैसिलिटी का दौरा किया था।

यूरन-9 है दुश्मन का काल

रूस के अनमैंड टैंक यूरेन-9 को दुश्मन का काल बताया जाता है। रूसी मीडिया के अनुसार यूरन-9 खुद के कैमरों और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से टारगेट को ट्रैक कर सकता है। लेकिन उसपर फायर करने का आदेश टैंक से 3 किलोमीटर की दूरी पर बैठा गनर देता है। यह टैंक पूरी तरह से रिमोट कंट्रोल्ड होता है। इसमें एक 30 मिमी की ऑटोमेटिक बंदूक, अताका एंटी-टैंक मिसाइल और श्मेल फ्लेमेथ्रो जैसे हथियार तैनात रहते हैं।

uran-9-ugv-robot-tankयूरन-9 की सबसे बड़ी खूबी ही इसका अनमैंड होना है। इससे रूस के सैनिक युद्ध क्षेत्र में कई किलोमीटर दूर बैठकर भी लड़ाई लड़ सकते हैं। पिछले हफ्ते यूक्रेन के कमांडर-इन-चीफ रुसलान खोमच ने संसद में कहा था कि रूसी संघ यूक्रेन के प्रति आक्रामक नीति जारी रखे हुए है। रूस ने कम से कम अतिरिक्त 25 टेक्टिक ग्रुप को बॉर्डर एरिया में तैनात किया है। हालांकि रूस का कहना है कि यूक्रेन के साथ लगने वाली उसकी सीमा पर रूसी सैन्य अभ्यास यूक्रेन या फिर किसी और के लिए कोई खतरा पैदा नहीं कर रहा है।  रूस का कहना है कि वह देशभर में सैनिकों की तैनाती करता है और सीमा सैनिकों की तैनाती करना कोई नई बात नहीं है। लेकिन एक हफ्ते बाद की स्थिति दोनों के देशों के बीच युद्ध जैसे हाला पैदा कर चुकी है। रूस ने बॉर्डर पर रोबोटिक टैंक तैनात किए हैं। वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने भी फ्रंट लाइन का दौरा किया है। जिसकी तस्वीरें जेलेंस्की के कार्यालय ने जारी की हैं। उन्होंने देश की रक्षा करने को लेकर सैनिकों को धन्यवाद कहा है। जेलेंस्की ने कहा कि ‘आप वीरता और समर्पण के सच्चे उदाहरण हैं। हमें हर वो योद्धा याद है, जिसने देश की रक्षा के लिए खुद को कुर्बान कर दिया।’

यूक्रेन के खिलाफ रूसी कार्रवाई और यूक्रेन के साथ नाटो देशों की सेनाओं का खड़ा होना। पूरी दुनिया के लिए अच्छा संकेत हरगिज नहीं है। शांति की बात हथियारों की तैनाती के साथ हो ही नहीं सकती है।  रक्षा विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि हालात और खराब हो सकते हैं, जिसके चलते आने वाले 4 हफ्तों में विश्व युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। ये संकट इतना बड़ा है कि अगर विश्व स्तर पर युद्ध नहीं होता है तो भी यूरोप का युद्ध की आग में झुलसना तय है।

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