इराक: दुनिया में आतंकवाद का बीज बोने का जो आरोप ईरान पर इज़राइल लगाया करता था.. आज बाइडेन ने गोले बरसाकर उन आरोपों पर मुहर लगा दी. अमेरिकी सैन्य बलों ने इराक-सीरिया सीमा क्षेत्र में ईरान समर्थित मिलिशिया समूह के खिलाफ एयर स्ट्राइक की है. अमेरिका ने हमला तो इराक और सीरिया में मौजूद तीन ठिकानों पर किए हैं लेकिन ये धमकी है ईरान को. जो इराक और सीरिया की धरती पर पल रहे लड़ाकों को अपनी प्राइवेट आर्मी के तौर पर इस्तेमाल करता है. उन्हें हथियार से लेकर ट्रेनिंग और जंगी साजो सामान मुहैया कराता है और फिर उनके ज़रिए ईरान अपनी योजना पर काम करते हुए अमेरिकी और नाटो फोर्सेज़ के ठिकानों को निशाना बनाता है. उसी को सबक सिखाने और आंख दिखाने के लिए अमेरिका ने स्ट्राइक ईरान के दुखती रग को अपने बूटों से कुचलना शुरू कर दिया है.
एक तरफ ईरान की परमाणु डील की बात हो रही है, दूसरी तरफ ईरान में सरकार बदली तो क्षेत्र में तनाव इस चरम तक पहुंचा कि युद्ध के हालात पैदा हो चुके हैं. फिलहाल ईरान अपनी प्राइवेट आर्मी का इस्तेमाल कर रहा है और अमेरिकी ठिकानों को निशाना बना रहा है. ईरान में बदली सत्ता खूनी खेल खेलेगी. इसकी चेतावनी पिछले हफ्ते ही इज़राइल के नए पीएम नेफ्ताली बेनेट दे चुके हैं जो सच साबित हो रही है.

ईरान को अमेरिका का अल्टीमेटम
दरअसल इराक में अमेरिका के करीब 2500 जवान तैनात हैं जो इराक में 12 सैन्य अड्डों पर आतंकवाद से मोर्चा ले रहे हैं. इसके साथ ही अमेरिकी फोर्सेज़ कुछ और साथी देशों की सेना के साथ इराक में खूंखार आतंकवादी संगठन ISIS से जंग लड़ रही है और उन्हें इराक को खाली करने पर मजबूर कर रही हैं. दूसरी तरफ ईरान के सपोर्ट पर कुछ आतंकी संगठन हैं जो इस इलाके में एक्टिव हैं और लगातार अमेरिकी ठिकानों पर हमले कर रहे हैं. ईरान भी इसे रोक नहीं पा रहा, या यूं कहें कि वो इनको रोकना ही नहीं चाहता. क्योंकि इन्हीं लड़ाकों के ज़रिए वो अपना एंटी इज़राइल मिशन अंजाम देता है. ऐसे में अमेरिका ने इन्हें सबक सिखाने के लिए धुआंधार हवाई हमले कर डाले हैं.
आतंक के खिलाफ मिडिल ईस्ट में ISIS से जंग लड़ रहे अमेरिकी सैनिकों पर हमले से बाइडेन प्रशासन खार खाया हुआ है. लिहाज़ा ईरान को सबक सिखाने के लिए मिडिल ईस्ट के किसी बेस से अमेरिकी एयरफोर्स की F15 और F16 फाइटर प्लेन्स ने उड़ान भरी और सीरिया-इराक के बॉर्डर पर 3 ठिकानों पर बम बरसाए, जिसमें से 2 ठिकाने सीरिया की सीमा में आते हैं और 1 ठिकाना इराक की सीमा में. ये वही ठिकाने हैं जहां पर आतंकियों ने अपने गोला-बारूद और असलहे छिपा रखे थे. इन ठिकानों को इसलिए टारगेट किया गया क्योंकि इनका इस्तेमाल ईरान समर्थित मिलिशिया ग्रुप करता है जो इराक में अमेरिकी जवानों और ठिकानों पर हुए यूएवी हमलों में शामिल हैं.
बाइडेन ने दिए थे आदेश
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के आदेश पर 5 महीने के अंदर दूसरी बार जवाबी कार्रवाई में इन हमलों को अंजाम दिया गया ताकि सनद रहे कि अमेरिका पर हमले का अंजाम क्या होता है. जून की शुरुआत में इराक में रॉकेट हमला हुआ था जिसमें एक अमेरिकी सैनिक और अन्य गठबंधन सैनिक घायल हो गए थे. उस समय बाइडेन ने कहा था कि ईरान को सीरिया में अमेरिकी हमलों को चेतावनी के रूप में देखना चाहिए. अगर ईरान मिलिशिया गुटों का समर्थन करता है तो उसे इसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए. ये कार्रवाई उसी का जवाब मानी जा रही है.. अभी यह पता नहीं चल पाया है कि इस अटैक में कोई मारा गया है या नहीं. बाइडेन ने आखिरी बार फरवरी के दौरान सीरिया में सीमित हमलों का आदेश दिया था. उस समय यह हमला इराक में रॉकेट हमलों के जवाब में था. बाइडेन पहले ही ईरान को संकेत दे चुके हैं कि वो अमेरिका को निशाना बनाने वाले गुटों को समर्थन न दे.