उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद अब राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं. मंत्रिमडल विस्तार के बाद राज्यभर में ये चर्चा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत से बीजेपी हाईकमान ने पूरी तरह से दूरी बना ली है.त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबियों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलना इस बात की ओर इशारा कर रहा है.बीजेपी हाईकमान ने त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके करीबियों को पूरी तरह से दूरी बना ली है.वहीं, दूसरी तरफ त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ बगावत करने वालों को तीरथ रावत सरकार में चेहरा बनाया गया है.सीधे शब्दों में कहें तो टीम तीरथ में कांग्रेस से आए बागियों को तव्वजो मिली है.हालांकि बीजेपी आलाकमान इसके पीछे अनुभवी चेहरों को मंत्रिमंडल में लिए जाने का तर्क दे रहा है.
खास बात ये है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज, बिशन सिंह चुफाल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया.वहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ रहे यतीश्वरानंद को भी कैबिनेट में जगह मिली,जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी रहे मदन कौशिक को सरकार से हटाकर संगठन की जिम्मेदारी सौंपी गई.मदन कौशिक को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सरकार से दूर किया गया.वहीं मुख्यमंत्री पद के दावेदार और त्रिवेंद्र सिंह रावत के बेहद करीबी धन सिंह रावत का भी प्रमोशन नहीं हो पाया वह राज्यमंत्री ही बने रह गए.त्रिवेंद्र सिंह रावत के संकट मोचक मुन्ना सिंह चौहान भी मंत्री नहीं बन पाए.कुल मिलाकर त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी लोगों को साइडलाइन करके बीजेपी आलाकमान ने एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है जिससे आने वाले समय में बीजेपी के अंदर राजनीतिक समीकरण काफी अलग दिखाई देंगे.