उत्तराखंड के सांसद विकास योजनाओं में सांसद निधि खर्च करने में कंजूसी करते हैं. RTI से मिली जानकारी से यह बड़ा खुलासा हुआ है.विकास के लिए बड़ी-बड़ी बातें करने वाले उत्तराखंड के लोकसभा और राज्यसभा सांसद अपनी निधि खर्च करने में भी जमकर कंजूसी कर रहे हैं. RTI से मिली जानकारी के मुताबिक दिसंबर 2020 के अंत तक कुछ सांसद अपनी निधि से एक भी पैसा खर्च नहीं कर पाए थे, आपको बता दें कि सांसदों को अपने क्षेत्र में विकास के लिए 5 करोड़ रुपया हर साल मिलता है.सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी के मुताबिक सूबे के मुख्यमंत्री एवं पौड़ी से सांसद तीरथ सिंह रावत की साल 2019-20 की सांसद निधि में से दिसम्बर 2020 तक केवल 8 फीसदी धनराशि खर्च हुई है.तीरथ सिंह रावत को 2019-20 की 2 करोड़ 50 लाख की सांसद निधि मिली.जिसमें केवल 20 लाख 25 हजार की धनराशि ही दिसंबर 2020 तक खर्च हुई है.ऐसे में अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में छाए तीरथ सिंह रावत को विपक्ष सांसद निधि पर एक बार फिर घेर सकता है. वहीं हरिद्वार सांसद एवं केन्द्रीसय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियल निशंक की सांसद निधि से एक रुपए भी खर्च नहीं हुए हैं.अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा को ब्याज सहित 2 करोड़ 50 लाख से अधिक की सांसद निधि स्वीकृति हुई,जिसमें 2 करोड़ 23 लाख से अधिक की सांसद निधि खर्च हुई है.वहीं टिहरी सांसद रानी राजलक्ष्मी शाह को 2019-20 में 2 करोड़ 50 लाख की सांसद निधि मिली, जिसमें से 1 करोड़ 92 लाख से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है.नैनीताल सांसद अजय भट्ट को ब्याज सहित 2 करोड़ 51 लाख की सांसद निधि मिली जिसमें से 1 करोड़ 52 लाख से अधिक की सांसद निधि दिसंबर 2020 तक खर्च हुई है.बात उत्तराखंड के राज्यसभा सांसदों की करें तो प्रदीप टम्टा को 2019-20 तक ब्याज सहित 15 करोड़ से अधिक की सांसद निधि मिली जिसमें से 13 करोड़ से अधिक की सांसद निधि दिसंबर 2020 तक खर्च हो चुकी है.वहीं राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को 2018-19 की ब्याज सहित 5 करोड़ से अधिक की सांसद निधि स्वीकृति हुई जिसमें से प्रतिशत 1 करोड़ से अधिक की धनराशि ही दिसंबर 2020 तक खर्च हो सकी है.
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